आधुनिक युग में प्रवेश करते ही हम पश्चिमी सभ्यता पर इतने ज्यादा निर्भर हो जाएंगे इस बात की शायद हमने कभी कल्पना भी नहीं की होगी। 1991 में जब हमने वैश्वीकरण यानी ग्लोबलाइजेशन की नीति अपनाई तो उसका मुख्य लक्ष्य अर्थव्यवस्था को एक नया विस्तार देना था। पश्चिमी सभ्यता और संस्कृतियों को जानने अपने जीवन में उतारने वहां के खान-पान, रहन-सहन आदि से परिचित होना वैश्वीकरण की मुख्य देन रही। सही शब्दों में बोला जाए तो वैश्वीकरण सीमाओं में बंधे देशों को पूरी तरह से स्वतंत्रता प्रदान करता है जिसके चलते आप अपनी अर्थव्यवस्था सम्पूर्ण विश्व के लिए खोल देते हैं। यहां देश सीमा या समय-सीमा के बिना बाजार में एक सफल आन्तरिक सम्पर्क का निर्माण करता है। इसका सफल उदाहरण देखा जाए तो आज देश के कोने कोने में मैक्डानॅल्ड ने अपनी जड़े जमा ली है। धीरे-धीरे विकास की यह गति और तेज होती गई और मोबाइल फोन्स ने हमारे बाजारों में दस्तक देना शुरू किया। ऐसा नहीं है कि इससे पहले कम्प्यूटर, या टेलीफोन हमारे रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा नहीं रहें। लेकिन यह हमारे जीवन को उतना प्रभावित नहीं कर पाए जितना मोबाइल या लैपटॉप ने किया। हो भी क्यां ना एक छोटे से डब्बे जैसे गैजेट ने पूरे विश्व को अपने अंदर समा रखा है। डिजिटल की ये दुनिया इतना विस्तार कर चुकी हैं कि टीवी की दुनिया के बाद अब आनॅलाइन प्लेटफॅार्म की शुरूआत इस डिजिटल दुनिया का सबसे बड़ा उदाहरण है।
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- Digital duniya par badhti nirbharta
घंटो की लम्बी लाइन के बाद मूवी की टिकट खरीद कर थियेटर में जाना बहुत ही परेशान करता था। धीरे-धीरे नए नए मोबाइल फोन्स, लैपटॉप, और आज कल टैब्स आदि ने दस्तक देना शुरू किया। नब्बे के दशक में डिजिटल वर्ल्ड यानी इंटरनेट की ये दुनिया साइबर की दुनिया कहीं जाती थी। साइबर वर्ल्ड, साइबर क्रइम, जैसे शब्द अक्सर सुनने को मिल जाते थे। आज आनॅलाइन प्लेटफॉर्म ने इस साइबर वर्ल्ड का नाम ले लिया है। जहां सबकुछ ऑनलाइन उपलब्ध हो जाता है। हम किसी चीज की तलाश में घरों से बाहर बाद में मोबाइल की तरफ जाना पहले पसंद करते है। हाथ में फोन लेकर सबसे पहले आनॅलाइन सर्च करना हमारी पहली पंसद बन चुकी है। वैश्वीकरण की शुरूआत में जब मॉल्स की शुरूआत हुई, पिज्जा हट, मैकडॅानल्ड जैसे रेस्टोरेन्टस का खुलना शुरू हुआ, जीन्स टॉप जैसे पश्चिमी परिधानों का प्रचलन बड़ा तब लोगों ने एक अलग दुनिया को जानना शुरू किया। हालांकि अमीर वर्ग के लिए तो ये कोई नई बात नहीं थी यह नई दुनिया थी उस मिडल क्लास यानी आम वर्ग के लिए जिसकी जरूरते तो सीमित थी लेकिन जिसकी इच्छाएं बहुत ज्यादा थी। इसी के चलते वैश्वीकरण को बढ़ावा मिला और देखते ही देखते पश्चिमी सभ्यता हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन गई। जेसे जैसे दुनिया विकसित होती गई विश्व स्तर पर नए नए आविष्कार सामने आने लगे जिसमें सबसे बड़ी भूमिका निभाई इंटरनेट यानी साइबर की दुनिया ने।
साइबर वर्ल्ड ही असल में शुरूआत थी डिजिटल की दुनिया में हमारे पहले कदम की। नब्बे के दशक कम्प्यूटर्स, ईमेल जैसे साइबर वर्ल्ड से हमारा परिचय होना शुरू हुआ। इसके बाद गुगल जैसे सर्च इंजनों ने इस दुनिया में एक अलग ही दुनिया बना दी। इसके चलते एक के बाद एक कई अन्य बाते इस साइबर वर्ल्ड को और विस्तृत यानी बड़ा करती गई। जिसमें सबसे बड़ा कदम था फेसबुक का आना। इसका वर्तमान स्वरूप इतना विकसित हो चुका है कि ये अलग दुनिया हमारी दुनिया से कई ज्यादा बड़ी बन चुकी है। जिसमें अमेजन, फिलिपकार्ड जैसे आनलाइन शापिंग ऐप्स, के साथ यूटयूब, बायजूस, वेदान्तू, टिंडर जैसे कई अन्य मनोरंजन, पढ़ाई, या हमारी निजी जिंदगी से जुड़े कई अन्य ऐप्स हमारी जिन्दगी का अहम हिस्सा बन चुकें हैं।
डिजिटल दुनिया का एक अलग पहलू है डिजिटल अर्थव्यवस्था जिसमें धन यानी पैसों से जुडी ़तमाम प्रक्रिया ऑनलाइन की जाती है। क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, नेट बैकिंग, मोबाइल पेमेंट तथा अन्य डिजिटल माध्यमों से आनॅलाइन पैसों का लेन देन किया जाता है। आज 21 वी सदी में डिजिटल अर्थव्यवस्था की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण हो चुकी है। सरकार के द्वारा दी जाने वाली सुविधाएं डिजिटली आप तक पहुंच रही है। यदि देखा जाए तो सरकार की योजनाओं का लाभ अक्सर उस आम जन तक नहीं पहुंच पाता था। सरकार की तरफ से दी जाने वाली आर्थिक मदद राजनीति की भेंट चढ़ती नजर आती थी। लेकिन डिजिटल प्रणाली की मदद से ये आर्थिक मदद सीधा गरीब जनता के अकाउंट तक सीधी पहुंचाई जाती है। जिससे आर्थिक स्तर के मामलों में होने वाले घोटालों को आसानी से रोका जा सकता हे।
डिजिटल पर बढ़ती ये निर्भरता विकास के आयाम तय करने में विश्व स्तर पर सफल साबित हो रहीं है। वैश्विक स्तर पर हम पहले एक दूसरे के साथ जितने जुड़े हुए थें उससे और अधिक डिजिटल के माध्यम से जुड़ चुकें हैं। हमारे समय को बचाते हुए हमारे काम को आसान बनाया है डिजिटल की इस दुनिया ने।
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