चाय हमारे दैनिक जीवन का इतना जरूरी हिस्सा है कि बिना इसके सुबह की शुरूआत बहुत ही फीकी मानी जाती है। भारत में गलियों, चौराहों पर चाय की दुकानों में लोगों की भीड़ अकसर देखने लायक होती है। लेकिन शरीर को स्वस्थ रखने के लिए ग्रीन टी का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। प्राकृतिक उत्पादों से तैयार की गई ग्रीन टी कई रोगों से छुटकारा दिलाने में कारगर भी साबित हुई है। ज्यादातर लोग वजन कम करने के लिए ग्रीन टी को पेय पदार्थ के रूप में पीना ज्यादा पंसद करते हैं। ग्रीन टी कैमेलिया सिनेंसिस नामक पौधे की पत्तियों से प्राप्त की जाती है। दुनियाभर में सबसे ज्यादा लोकप्रिय पेय पदार्थो में भी शामिल है। खासकर एशिया महाद्वीप में। चीन और जापान ने कई सालों तक ग्रीन टी को दवा के रूप में इस्तेमाल किया। इसे चीनी चाय का नाम भी दिया गया है।जानकारों का मानना है कि ये रक्त शर्करा, कोलेस्टॉल, ब्लडप्रेशर, और वजन को काबू करने में मदद करती है।
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एक स्वस्थ शरीर के लिए ग्रीन टी बहुत ही लाभदायक मानी जाती है। शोधकर्ताओं के अनुसार यदि ग्रीन टी को अपने पेय पदार्था में जोड़ा जाए तो ये कैंसर और कई अन्य विकृतियों के विकास को रोकने में फायदेमंद साबित होगी। हालांकि, अन्य अध्ययनों से जानकारी मिली है कि ग्रीन टी के इस्तेमाल से विभिन्न प्रकार के केंसर का खतरा कम नहीं होता है। जानकारों के अनुसार ग्रीन टी का सेवन अग्नाशय के कैंसर के जोखिम से जुड़ा नहीं है। मुंह के कैंसर से लड़ने में ग्रीन टी कारगर साबित हो सकती है। एक अन्य शोध के अनुसार ग्रीन टी में पाए जाने वाले तत्व ऐसी प्रक्रिया को शुरू करने में सक्षम है जो स्वस्थ कोशिकाओं को छोड़कर कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को मारती है। इसमें पाए जाने वाले एपिगैलोकेटचिन-3-गैलेट में कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को मारने की क्षमता होती है। हालांकि यह अब भी चर्चा का विषय बना हुआ है कि यह ईजीसीजी केवल कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को मारने के लिए ही कैसे काम करता है।
ग्रीन टी का इस्तेमाल शरीर की अन्य बीमारियों को दूर करने के लिए भी किया जा सकता है। जिसमें हमारे शरीर की चर्बी को कम करने में ये सबसे ज्यादा लाभदायक साबित होती है।इससे शरीर का मैटाबोलिज्म ठीक रहता है। इसमें मौजूद एंटी इंफलाममेटोरी और एंटीऑक्सिडेंट तत्व हमारे चेहरे की चमक को भी बढ़ाते है। साथ ही ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा इससे इस्तेमाल से बहुत ही कम हो जाता है। साथ शरीर को बिना कोई नुकसान पहुंचाए यह कैंसरयुक्त कोशिकाओं को खत्म करने का भी काम करती है।
हालांकि, शोधकर्ताआें को इससे कैंसर की संभावनाए कम करने के सबूत तो जरूर मिलते है। कैंसर से लड़ने में यह प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद करती है। स्वास्थ्य, उर्जा के स्तर और कल्याण में सुधार, शरीर से विषाक्त पदार्थो से छुटकारा दिलाने में ये फायदेमंद साबित हुइ हैं। ग्रीन टी के उत्पादककर्ताओं द्वारा दिन में कम से कम 3 से 4 कप ग्रीन टी का सेवन करने की सलाह दी जाती है ताकि शरीर को इसका पूरा लाभ मिल सकें। चाय में मौजूद कैफीन के कारण ये नींद भगाने में कारगर साबित होती है।
2012 में अमेरिका में एक अध्ययन के परिणाम स्वरूप कैंसर से ग्रस्त 42 व्यक्तियों को ग्रीन टी का सेवन करने के लिए कहा गया जो किसी अन्य प्रकार का उपचार नहीं कर रहें थे। शोधकर्ताओं ने पाया कि एक तिहाई लोगों में ल्यूकेमिक कोशिकाओं की संख्या कम हो गई है। उनके लिम्फ नोडस भी सिकुड़ गए है। इस छोटे से परीक्षण के परिणाम काफी आशाजनक साबित हुए थे। इसलिए अब बड़े स्तर पर इसे जुड़े शोधों को अंजाम दिया जा रहा है ताकि हम ये जान सकें कि कैंसर से रोकथाम में ग्रीन टी कितनी ज्यादा फायेदमंद साबित हो सकती है। और ग्रीन टी या इसके अर्क कैंसर से पीड़ित लोगों की कितनी मदद कर सकते है।2018 में एक और अध्ययन किया गया जिसमें सीएलएल वाले लोगों में ग्रीन टी और हल्दी का इस्तेमाल करने पर मिश्रित परिणाम देखने को मिले थे। इस शोध ने पाया कि ग्रीन टी की मदद से वेलकेड अच्छी तरह से काम नहीं कर सकता हैं पर क्या इसका प्रभाव मनुष्य पर भी इसी तरह होगा इसे जानने के लिए बड़े स्तर पर शोध करने की आवश्यकता होगी।
ग्रीन टी से स्वास्थ संबंधी केई और नुकसान होता है ऐसा कम ही सुनने में आता है। हां ग्रीन टी का इस्तेमाल किसके लिए फायदेमंद है या और किसके लिए नहीं इसकी पूरी जानकारी होने के बाद ही इसका सेवन करना चाहिए। विशेषज्ञों की राय है कि गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसके सेवन से बचना चाहिए। ग्रीन टी से कैंसर के रोकथाम का दावा कई वेबसाइटों कम्पनियों के द्वारा किया जाता है लेकिन ध्यान रहें कि कोई भी वैज्ञानिक संगठन या संस्था ऐसे किसी दावे को वास्तविक नहीं मानती है। हां इस दिशा में शोध अवश्य किए जा रहे है लेकिन उसमें हम कितने सफल हुए इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।
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