ओटीटी (OTT) प्लेटफार्म्स अपनी लोकप्रियता के चलते दर्शको की पहली पसंद बन गए है। इसी का नतीजा है कि अब युवा पीढ़ी या कहें भारत में इस आबादी का एक अच्छा खासा हिस्सा अपनी दिलचस्पी इस प्लेटफार्म पर ज्यादा दिखा रहा है। ऐसा नहीं है कि इसके ज्यादा लोकप्रिय होने के कारण टीवी या केबल टीवी की मांग में कमी आई है। लेकिन अब सास बहू की कहानियों से दूर आम आदमी से जुड़ी, समाज से जुड़ी वास्तविकताओं को देखना दर्शक अधिक पंसद करते है। इसी लिए इन प्लेटफार्म पर दिखाई जाने वाली वेब सीरीज दर्शकों के मध्य काफी पंसद भी की जा रही हैं। अमेजन प्राइम, नेटफिलक्स, आल्ट बालाजी, डिजनी प्लस हाटॅ स्टार आदि जैसे कई ओटीटी प्लेटफार्म्स अब केबल टीवी को टक्क्र देते और इंटरनेट की दुनिया में अपनी विस्तार करते नजर आ रहे है। डिजिटल प्लेटफार्म की बढ़ती मांग के कारण अब मोबाइल, लैपटाप आदि का इस्तेमाल भी उतनी तेजी से बढ़ता जा रहा है। पर जहां इतनी लोकप्रियता होती है, वहां कमी भी सामने आने में समय नहीं लगता। भारत की विविधता,उसकी धर्मनिरपेक्षता को सर्वोपरि रखा जाता है। लेकिन इन प्लेटफार्म्स पर दिखाई जाने वाली सीरिज में इनका ख्याल न रखा जाना आम बात लगने लगी है। यही कारण है कि पिछले दिनों अमेजन प्राइम पर रिलीज हुई सीरीज तांडव ने जहां एक तरफ दर्शकों के बीच काफी लोकप्रियता हासिल की वहीं इसके कुछ दृश्यों पर जातिवाद, धार्मिक मान्यताओं के साथ खिलवाड़ का आरोप भी लगाया गया। यह कोई पहली बार नहीं है कि ऐसा कुछ हमें देखने को मिला है। इससे पहले भी इन प्लेटफार्म्स पर प्रसारित होने वाली बेवसीरीज पर इस तरह का कांटेंट प्रस्तुत करने का आरोप लगता रहा है। यह कहना तो गलत नहीं होगा कि आज आधुनिक युग में प्रवेश करने के बावजूद भी जातिवाद, धार्मिक पांखड हमारे समाज में उतनी ही ज्यादा मजबूती के साथ व्याप्त है। लेकिन चूंकि भारत में सभी पंथों की जातियों की भावनाओं का ख्याल रखा जाना जरूरी है। इसलिए जरूरी है कि इस तरह के कांटेंट को प्रस्तुत किए जाने से पहले उस पर अच्छी तरह से विचार किया जाए। इसी का नतीजा कि सरकार द्वारा बीते महीनों में इन प्लेटफार्म्स को रेग्युलेट करने का निर्णय लिया गया है।
सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया कि इस तरह के जितने भी ओटीटी प्लेटफार्म्स और न्यूज पोर्टल है उन्हे सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय के अधीन किया जा चुका है। जो राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद कानून में परिवर्तित हो तत्काल प्रभाव से लागू किया जा चुका हैं। ऐसा नहीं है कि यह निर्णय अचानक ही लिया गया। काफी लम्बे समय से विभिन्न राज्यों के न्यायालयों में अलग अलग याचिका कर्ताओं द्वारा ओटीटी प्लेटफार्म्स पर प्रसारित होने वाले कांटेंट पर मनमानी का आरोप लगाते हुए कई याचिकाएं लगाई गई थी। जिसके चलते सरकार पर भी भारी दवाब बना हुआ था। मनोरंजन के क्षेत्र में चाहे फिल्म जगत की बात हो या टीवी जगत की चाहे वो न्यूज जगत ही क्यों न हो इन सब को किसी न किसी सरकारी विभाग या संस्था द्वारा रेग्यूलेट किया जाता रहा है। लेकिन ओटीटी प्लेटफार्म्स पर किसी प्रकार का नियंत्रण नहीं रहा। यदि दर्शकों को भी फिल्म या टीवी जगत पर प्रसारित होने वाले किसी कांटेंट से कोई परेशानी हो तो उसके लिए भी उससे जुड़े विभाग या संस्था में शिकायत करने की सुविधा दर्शकों को दी गई थी। लेकिन ओटीटी प्लेटफार्म पर इस प्रकार की किसी संस्था की व्यवस्था नहीं रही।
सरकार द्वारा जारी किए गए इस निर्णय के बाद कई लोगों ने इसके पक्ष तो कई ने इसके विरोध तो किसी ने मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। लोगों का कहना रहा कि इससे इन प्लेटफार्म्स पर प्रसारित होने वाले हिन्दू विरोधी कान्टेंट के साथ सेना विरोधी, गाली गलोच, जैसे कई बातों पर लगाम लगेगी। वहीं कई अन्य लोगों ने कहा कि इस निर्णय के चलते सरकार द्वारा अभिव्यक्ति की आजादी पर प्रहार किया गया है। पर क्या सरकार के इस निर्णय से अब तक कोई बदलाव देखने को मिला। वास्तविकता यह है कि सरकार के इस निर्णय के बावजूद भी इन प्लेटफार्म्स पर किसी भी प्रकार का कोई असर देखने को नहीं मिला है। यही कारण है कि पिछलें दिनों रिलीज हुई सीरीज तांडव में जातिवाद पर प्रहार व हिन्दू देवी देवताओं के अपमान का आरोप लगाया गया। जिसके चलते कई अभिनेताओं पर केस भी दर्ज कराया गया।
ऐसा नहींं है कि सरकार द्वारा जारी किए गए इस फैसले के पहले फिल्म जगत या टीवी जगत, मीडिया आदि में इस तरह का कांटेंट का परोसा नहीं गया। लेकिन इनके ऊपर निगरानी रखने के लिए तो सस्थाएं मौजूद है। लेकिन फिर भी ऐसे कांटेंट हमेशा ही देखने को मिल जाते है। और धडल्ले से उनका प्रचार भी किया जाता है। फिल्म जगत में तो आए दिन ऐसी कोई न कोई घटना देखने को मिल ही जाती है। इसलिए यह कहना कि ओटीटी प्लेटफार्म्स को सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय के अधीन करने से फर्क पड़ेगा यह देखने वाली बात होगी।
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