5G internet in india
भारत आज दुनिया में डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सर्वश्रेष्ठ रूप से जुड़ा हुआ है। बड़ी-बड़ी आईटी कम्पनी इस विस्तार को बढ़ाने के लिए अब 5 जी इंटरनेट सेवा को लाने की तैयारी कर रही है। हालांकि, भारत अभी 4 जी की सेवा का लाभ उठा रहा है। लेकिन विश्व के अन्य देश अब 5 जी को लाने की तैयारी में जुट गए है। विकसित देश खासकर चाइना, साउथ कोरिया जैसे देश अपने यहां इंटरनेट गति को और बेहतर बनाने की दिशा में उचित कदम और नई परियोजना को लाने की तैयारी में लगे हुए है। रिलांयस इंडस्ट्री के मालिक मुकेश अंबानी ने इस विषय पर कहा है कि साल 2021 के दूसरी छमाही में भारत में भी 5 जी की क्र्रांति लाने की पूरी तैयारी की जा रही है जिसे स्वदेशी विकसित नेटवर्क, हार्डवेयर, और प्रोद्योगिकी घटकों के द्वारा संचालित किया जाएगा। जिसमें जियों की भूमिका अग्रणी रहेगी। देश को आत्मनिर्भर बनाने की राह में यह कदम उठाए जा रहे है। जिससे देश को चौथी औद्योगिक क्रान्ति बनने में भी लाभ मिलेगा। हमारी निर्भरता किस हद तक इस डिजिटल दुनिया के प्रति बढ़ गई है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हमारी रोजमर्रा की छोटी से छोटी बातों के लिए हम इसी पर निर्भर हो गए है। मोबाइल फोन में इंटरनेट ना होने से दुनिया रूकी हुई सी लगने लगती हे।
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बात की जाए 5 जी नेटवर्क की तो अभी हम चौथी जनरेशन यानी 4 जी पर निर्भर है। वहीं अब यहां पांचवी जनरेशन यानी 5 जी को लाने की तैयारी की जा रही है। जहां 4 जी में किसी एचडी मूवी को डाउनलोड करने में सात से आठ मिनट का समय लगता था वही इस नई जनरेशन यानी 5 जी में एक मिनट से भी कम समय में यह डाउनलोड होना संभव है। दक्षिण कोरिया, संयुक्त राज्य अमेरिका और चाइना उन देशों में सबसे पहले है जो पांचवी जनरेशन के इस नेटवर्क तकनीक का नेतृत्व कर रहें है। इनके अलावा कई छोटे-छोटे देश भी इस तकनीक को अपने यहां उपलब्ध कराने के कई महत्वपूर्ण कदम उठा रहें हे।
इंटरनेट का सबसे ज्यादा इस्तेमाल मोबाइल फोन्स के जरिए किया जाता है। हर साल बाजारों में एक कदम आगे बढ़ाते हुए नई जनरेशन के फोन दस्तक देते हे। 1980 से लेके 2020 तक चार जनरेशन को हम देख चुके है। वायरलेस ब्राडबैंड कनेकशन के माध्यम से लगभग 20 जीपीएस से भी ज्यादा की स्पीड में डाटा को टांसमिट करना 5 जी जनरेशन की मुख्य विशेषता है। चौथी जनरेशन यानी 4 जी लांग टर्म एवुयूलशन यानी वायरलेस टैक्नालिजी ने ही 5 जी की नींव तैयार की थी। 5 जी में आपको वायरलैस सिग्नलस को टांसमिट करने के लिए छोटे-छोटे सेल्स स्टेशन्स की जरूरत होती है जिन्हें छोटी छोटी जगहां पर लगाया जा सकें।
ऐसा अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2025 तक भारत में मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या लगभग 920 मिलियन तक होने की संभावना है जिसमें से लगभग 88 मिलियन उपभोक्ता 5 जी कनेक्शन से जुड़े होंगे। यह नेटवर्क कनेक्शन बहुत कम ऊर्जा की खपत करने के साथ ही विकिरण भी बहुत कम उत्पन्न करता है और बेहतर कनेक्टिविटी के माध्यम से बहुत अधिक डेटा स्पीड प्रदान करता है। यदि भारत की 88 मिलियन आबादी 5 जी कनेक्शन का इस्तेमाल करती है तो यह अनुमान गलत नहीं है कि भारत 5 जी कनेक्शन में चीन को भी पीछे छोड़ सकता है।
5 जी शब्द का उपयोग लान्ग टर्म इवोल्यूशन की अगली पीढ़ी का वर्णन करने के लिए किया जाता है। 5 जी नेटवर्क एलटीई के उन्नत प्लेटफॉर्म का निर्माण उन उपकरणों के लिए करेगा जिन्हें बड़ी संख्या में एक साथ संचालित करने के लिए लम्बे समय तक बैटरी लाइफ की आवश्यकता होती है। यह कहना गलत नहीं हेगा कि भारत में रिलांयस जियो के बाजार में उतरते ही लोगों ने सही मायनों 4 जी की क्षमता को महसूस किया। सस्ती इंटरनेट सेवा की शुरूआत भी इसी के चलते देखने को मिली है। रिलांयस ने इसके बाद फिर से दावा किया है कि 5 जी को बाजार में उतारने में जियो नेटवर्क की मुख्य भूमिका रहेगी और साथ ही 2025 तक भारत इस कनेक्शन की सुविधा का लाभ उसी तरह ले पाएगा जैसे आज 4 जी नेटवर्क का ले रहा है। भविष्य में हमारे स्मार्टफोन के साथ अन्य डिवाइसिस भी सी तरह 5 जी का इस्तेमाल करने वाले जैसे कि आज 4 जी का कर रहे हैं।
बाजारों में प्रतिस्पर्धा का माहौल इस हद तक बढ़ चुका है कि प्रत्येक कम्पनी अपने प्रोडटक्स को बेहतर बनाने के लिए हर साल नई जनरेशन को बाजार में लान्च कर रही है यहां बात हो रही है स्मार्टफोन्स की। एन्डोयेड, एप्पल, जैसी कम्पनियां इस रेस में कई आगे निकल रहीं है। ऐसे ही इंटरनेट की दुनिया में भी 4 जी के बाद अब 5 जी को लाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। इंतजार इस बात का रहेगा कि ये किस तरह हमारे विकास की राह पर एक अहम कदम साबित होगा।
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