अंतरिक्ष तकनीक ने वैज्ञानिकों को ब्रहांंड की एक अलग ही दुनिया से परिचित कराया है। अंतरिक्ष अन्वेषण प्रयासों को कम करने और सुधारने के लिए स्पष्ट रूप से किए गए विभिन्न आविष्कार अब हमारे घरों में देखे जा सकते हैं। पोर्टेबल वैक्यूम क्लीनर, कंबल, कृत्रिम अंग, इंटरनेट और कैमरा सेंसर ऐसी ही खोजों का परिणाम है। हमारी जरूरतों के मुताबिक जो चीजें आज आसानी से हमारे सामने उपलब्ध हो जाती है उनकों बनाने में सालों की मेहनत लगती है। स्पेस टेक्नॉलाजि के ऐसे ही प्रयोगों को विस्तार से समझा जाए तो उसमें कई उपकरण हमारे रोजमर्रा के जीवन या कामों में इस्तेमाल होने वाले है-
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Space technology ka humare jevan me upyog :-
1.कैमरा सेन्सर- अमेरिकी अंतरिक्ष स्पेस एजेंसी नासा के वैज्ञानिक एरिक फोसुम ने अंतरिक्ष मिशन के लिए कैमरों के आकार को कम करने के लिए एक व्यापक शोध किया। वर्षो बाद उन्हें सीएमओएस के रूप में ये सफलता हाथ लगी। उन्होंने अंतरिक्ष अनवेषण के लिए पूरक धातु ऑक्साइड सेमीकंडक्टर छवि सेंसर विकसित किया। इस सेंसर के जरिए खींची गइ्र्र तस्वीरे कई बातों को तस्वीरों में प्रदर्शित करती है। जिसमें शोर होने की संभावनाए ज्यादा थी। इसलिए फोसूम ने चार्ज कपल्ड डिवाइस तकनीक का उपयोग करके सीएमओएस सक्रिय पिक्सेल सेंसर विकसित किए। सार्वजनिक उपयोग के लिए जब इसने बाजारों में दस्तक दी तो इससे डिजिटल इमेजिंग उद्योग में क्र्रांति ला दी। अब सीएमओएस सक्र्रिय पिक्सेल सेंसर आमतौर पर विभिन्न स्मार्टफोन कैमरों और गो प्रो कैमरों में उपयोग किए जाते हैं।
2.जीपीएस- तकनीकी क्षेत्र में हम जिस तेजी से विकास कर रहे है उसे देखकर यह कहना गलत नहीं होगा की अब ये तकनीकी विकास की लड़ाई कई देशों को अंतरिक्ष प्रोद्योगिकी में भी आमने सामने लाकर खड़ा कर रही है। कई अंतरिक्ष संगठनों ने विभिन्न उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में छोड़ा है । जिसमें अमेरिका सबसे ज्यादा सक्र्रिय सैटेलाइटस पृथ्वी की कक्षा में मौजूद हें। इन उपग्रहों का उपयोग कई उददेश्यों के लिए किया जाता रहा है। जिसमें आज एक महत्वपूर्ण प्रयोग है जीपीएस नेटवर्क। जीपीएस नेटवर्क के जरिए दुनिया की किसी भी जगह से आप अपनी लोकेशन किसी को भी भेज सकते है ओैर किसी अन्य की जानकारी हासिल कर सकते है। इसके अलावा गुगल मैप्स जैसी नेविगेशन सेवाएं बड़े स्तर पर जीपीएस नेटवर्क का उपयोग करती है। जब मशीन्स की लर्निग और कम्प्यूटर या कृत्रिम बुद्धिमत्ता द्वारा इसे जोड़ा जाता है तो यह वाहनों को संचालित करने में मदद करता है।
3. संचार और इंटरनेट- पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे यह उपग्रह हमारी रोजमर्रा की जिन्दगी से किस कदर जुड़े हुए है इसका शायद हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते। यह उपग्रह विभिन्न उपकरणों पर डेटा और सिग्नल भेजने और प्राप्त करने का काम करते हैं। सैटेलाइट सिग्नल का उपयोग मोबाइल संचार और इंटरनेट के रूप में किया जाता है। जिसने हमारे काम करने के तरीके को इतना आसान बना दिया है साथ ही इस क्षेत्र में एक नई क्र्रांति का भी विस्तार किया है। दुनिया के किसी भी कोने से संपर्क स्थापित करना इसी इंटरनेट सेवा के जरिए इतना आसान काम बन गया है। किसी के साथ जुड़ना और संवाद करना इसके कारण बहुत ही ज्यादा आसान हो गया है। इंटरनेट की इस गति को अभी और तेजी से विकसित करने की दिशा में काम किया जा रहा है। चौथी जनरेशन के बाद हम पांचवी जनरेशन यानी 5 जी के विस्तार की तरफ आगे बढ़ रहें है। जिसमें 1जीबीपीएस से अधिक की गति प्राप्त करने का अनुमान हैं। बेहतर गति और सस्ते डेटा दर केवल चीजों के बेहतर बनाने के लिए है। तकनीक से जुड़े हर काम के लिए इंटरनेट की सेवा का इस्तेमाल हमारी निजी और बेसिक जरूरत बन गया है।
रेल निगरानी सेंसर- रेलों में खामियों का पता लगाने के लिए ट्रेन में तकनीकी खामियों और उसके धुरा में कंपन की निगरानी करने के लिए नासा द्वारा रोटोइसेन नामक सेंसर को फिर से तैयार किया गया है। इसकी खोज नासा की सबसोनिक रोटरी विंग परियोजना के तहत की गइ्र्र है। जिसे हेलिकाप्ॅटर ट्रांसमिशन में विफलताओं की भविष्यवाणी करने के लिए रोटोविसोन कहा जाता है। यह समस्याओं की पहचान कर उसकी खामियो को दूर करने की दिशा में काम करता है। इसने ट्रेनों को और अधिक सुरक्षित बना दिया है।
अंतरिक्ष में बढ़ते इस तकनीकी विकास को और अधिक विस्तार देने की कोशिशें की जाती रही हैं। अंतरिक्ष संगठन इन प्रयोगों के लिए कई अनुसंधान और विकास कार्यक्रमों को भी अंजाम दे रहें हैं। जिसमें स्पेसएक्स और ब्लू ओरिजिन जैसी निजी कंपनियां भी इस विकास की दौड़ में शामिल हो चुकी हैं।स्पेसएक्स जैसे निजी संगठनों ने पहले ही मार्सेन जैसे अंतरिक्ष मिशनों की घोषणा कर दी है जो मंगल ग्रह पर इंसानी वर्चस्व कायम करने की दिशा में काम कर रहें हैं।वही ब्लू ओरिजन अंतरिक्ष यात्रा को सस्ता बनाने के लिए पुनःप्रयोज्य रॉकेट के परीक्षण पर काम कर रहें हैं। अन्य ग्रहों पर जीवन की संभावनाएं तलाश करने के लिए ये प्रोद्योगिकी निरंतर प्रयास कर रही हैं।
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